सूबे की सरकार का 18 मार्च को एक साल का कार्यकाल पूरा हो जाएगा और 31 मार्च को 5500 लोग बेरोज़गार हो जाएंगे। जी हां हम बात कर रहे हैं गेस्ट टीचर की, जिनकी सेवाएं 31 मार्च को समाप्त हो जाएंगी। प्रदेश में एक बार फिर सरकारी स्कूलों में अध्यापकों की कमी का खतरा पैदा हो जाएगा। क्योंकि कोर्ट ने गेस्ट टीचर्स को 31 मार्च तक ही तैनाती दी हुई है। इसके साथ ही 31 मार्च को तकरीबन 1 हज़ार शिक्षक भी रिटायर हो रहे हैं। राज्य में पिछले तीन सालों से गेस्ट टीचर्स अपनी सेवाएं दे रहे थे।
अब इस 5500 लोगों पर बेरोज़गारी का खतरा मंडराने लगा है। इसके साथ ही नये सत्र से माध्यमिक स्कूलों में हज़ारों से ज्यादा शिक्षकों की कमी हो जाएगी। जिसको लेकर राजकीय शिक्षक संघ मांग कर रहा है कि सरकार स्थायी शिक्षकों की नियुक्ति करे। क्योंकि जुगाड़ी व्यवस्था ज्यादा लंबी नहीं चल सकती और शिक्षा विभाग में युवा बेरोजगारों के साथ जो खिलवाड़ किया जा रहा है वो नहीं होना चाहिए। उत्तराखंड के सरकारी स्कूलों के हालात किसी से छुपे नहीं हैं। जहां न सुविधा है और न ही शिक्षा की गुणवत्ता की ABCD। सरकारी अध्यापक सरकारी स्कूलों की बदहाली के लिए सरकार को ज़िम्मेदार ठहराते हैं और सरकार सरकारी अध्यापकों पर अपनी ठीकरा फोड़ देती है। इन सब के बीच नुक्सान होता है उत्तराखंड के मासूम छात्रों का। ख़ैर अब शिक्षा मंत्री अरविंद पांडे शिक्षकों की कमी को कैसे पूरा करेंगे ये देखना दिलचस्प होगा। इसके साथ ही जब गेस्ट टीचर्स 31 मार्च से बेरोज़गार हो जाएंगे तब ये टीचर्स डबल इंजन की सरकार के आग क्या मांग रखते हैं। ये भी देखना होगा। क्योंकि सड़कों पर तो गेस्ट टीचर्स को न्याय के लिए लड़ते पिछले साल भी देख था। अब 5500 लोग जो बेरोज़गार हो जाएंगे। इनके लिए सरकार क्या सोचती है इस पर टीचर्स के साथ-साथ विपक्ष की भी नज़र है। ताकि विपक्ष को सरकार के खिलाफ आवाज़ उठाने के लिए कुछ तो चाहिए ना।