मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र जी बधाई हो
जमरानी बांध निर्माण का रास्ता हुवा साफ।
परियोजना को मिली पर्यावरण मंत्रालय की अंतिम मंजूरी।
केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने किए फाइल पर हस्ताक्षर।
जल्द ही नीति आयोग को सौंपी जाएगी पर्यावरण एनओसी की फाइल।
सिंचाई विभाग को मिली जमरानी बांध परियोजना के निर्माण के लिए वन एवं पर्यावरण मामले की अंतिम मंजूरी ।
अब बांध निर्माण का रास्ता साफ हो गया है। मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र रावत के अधिक प्रयास ओर डबल इंजन की इच्छा शक्ति के चलते रास्ता साफ।
वही उत्तराखंड सिंचाई विभाग के अधिकारियों की मेहनत के चलते भी बांध निर्माण के तमाम अवरोध अब दूर हो गए हैं। बृहस्पतिवार को केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने हस्ताक्षर कर पर्यावरण की अंतिम मंजूरी भी दे दी है।
मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र के निर्देश पर खुद जमरानी बांध परियोजना की औपचारिकताओं को पूरा कराने के लिए लगातार दिल्ली में डेरा डाले परियोजना के अधिकारियों ने बताया कि मंगलवार को वन एवं पर्यावरण राज्यमंत्री के हस्ताक्षर के बाद पर्यावरण की अंतिम मंजूरी के लिए फाइल केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्रालय के सुपुर्द कर दी गई थी। अब तक बांध परियोजना के लिए पर्यावरण को लेकर सशर्त मंजूरी मिली थी। ओर अंतिम मंजूरी के लिए फाइल मंगलवार को केंद्रीय वन एवं पर्यावरण राज्यमंत्री बाबुल सुप्रियो के हस्ताक्षरों के बाद केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर के हस्ताक्षरों के लिए उनके कार्यालय में भेज दी गई थी। बृहस्पतिवार को केंद्रीय मंत्री के भी हस्ताक्षर हो गए हैं। अब इस फाइल को नीति आयोग को सौंपा जाएगा।
वही बांध परियोजना को पर्यावरण की मंजूरी मिलने पर खुशी जताते हुए प्रदेश की सिंचाई सचिव डॉ. भूपिंदर कौर औलख ने कहा कि यह परियोजना से जुड़े अधिकारियों की मेहनत का परिणाम है। उन्होंने अधिकारियों की टीम को बधाई दी है।
अब त्रिवेंद सरकार ने बांध निर्माण की संभावनाओं को देखते हुए परियोजना के सभी कार्मिकों को सरकार की स्थानांतरण पॉलिसी से मुक्त कर दिया है। ये सभी कार्मिक बांध परियोजना का निर्माण पूरा होने तक कहीं भी स्थानांतरित नहीं किए जा सकेंगे।
उत्तराखंड की सिंचाई सचिव डॉ. भूपिंदर कौर औलख ने मीडिया को बताया कि जमरानी बांध परियोजना के तहत नया स्टाफ तैनात किया गया है
18 दिसंबर को दिल्ली में जमरानी बांध के संबंध में वित्त मंत्रालय के अधिकारियों के साथ अब हो सकती है बैठक । इस बैठक मैं जमरानी बांध परियोजना के लिए धन की मंजूरी दिलाने की विशेष प्रयास किए जाएंगे।
बता दे कि उत्तराखंड में पिछले 40 साल से अटकी हुई थी प्रस्तावित जमरानी बांध परियोजना।
जिसे पर्यावरण मंत्रलय की अंतिम मंजूरी मिल कि चुकी है।
मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने मीडिया को बताया कि इस बहुप्रतीक्षित परियोजना को मंजूरी मिलने से अब इसके जल्द से जल्द पूरा होने का रास्ता साफ हो गया है।
ये महत्वपूर्ण योजना उत्तराखंड में लगभग पिछले 40 साल से अटकी हुई थी
।
परियोजना के पूरा होने की दिशा में राज्य सरकार एवं केंद्र के संयुक्त प्रयास की बदौलत अब इससे निचले हिमालय एवं शिवालिक पहाड़ियों के दक्षिण क्षेत्र भाबर इलाके के लोगों का पुराना सपना पूरा होगा। मुख्यमंत्री ने पत्रकारों को बताया, ‘ कि इस ‘परियोजना से अब तराई-भाबर क्षेत्र के लोगों को गुरुत्व आधारित जल आपूर्ति होगी जो उत्तराखंड के 5,000 हेक्टेयर से अधिक के भूभाग पर सिंचाई की मांग को भी पूरा करेगा।’’
उन्होंने कहा कि 2,584 करोड़ रुपये की 1970 के दशक में प्रस्तावित परियोजना से उत्तराखंड के नैनीताल और उधम सिंह नगर जिलों के लोगों को पेयजल और सिंचाई दोनों उद्देश्यों के लिये जल आपूर्ति होगी। इसके अलावा 14 मेगावाट की बिजली भी पैदा होगी।
नैनीताल जिले में गोला नदी पर स्थित यह बांध नौ किलोमीटर लंबा, 130 मीटर चौड़ा और 485 मीटर ऊंचा है। इस परियोजना को केंद्रीय जल आयोग से इस साल फरवरी में तकनीकी मंजूरी मिल गई थी।
वन विभाग पहले ही इस परियोजना के लिये 351.49 हेक्टेयर जमीन दे चुका है और राज्य सरकार ने इसके लिये शुरुआती दौर में कुल 89 करोड़ रुपये की राशि आवंटित की थी। ये परियोजना को भाबर इलाके के लोगों के लिये जीवनरेखा से कम नही।
मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने पीएम मोदी ओर केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर का आभार जताया है डबल इंजन की सरकार के प्रयासों के चलते 40 साल
पहले देखा सपना अब साकार होने जा रहा है।