Saturday, April 20, 2024
Homeउत्तराखंडराज्यसभा के लिए बलूनी का नामांकन संसद में निष्क्रिय उत्तराखंडी अब...

राज्यसभा के लिए बलूनी का नामांकन संसद में निष्क्रिय उत्तराखंडी अब जागेंगे !

उत्तराखंड राज्यसभा सीट से काफी सस्पेंसों के बाद आखिरकार भाजपा प्रत्याशी अनिल बलूनी ने राज्यसभा चुनाव के लिए अपना नामांकन दाखिल कर दिया। इस दौरान उन्होंने दिल्ली में रहकर उत्तराखंड के दुख दर्दों को दूर करने की बात भी कही । आपको बता दें उत्तराखंड राज्यसभा सीट से भाजपा उम्मीदवार अनिल बलूनी अपना नामांकन कराने विधानसभा पहुंचे। नामांकन के बाद उन्होंने पार्टी केंद्रीय नेतृत्व का आभार जताते हुए कहा कि केंद्र की बीजेपी टीम में उत्तराखंड का विशेष स्थान है। और इसी वजह से आने वाले समय में भी उत्तराखंड के विकास के  लिए बहुत काम किये जाएंगे।

वहीं बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष अजय भट्ट ने अनिल बलूनी के राज्यसभा  उम्मीदवार बनने पर उन्हें बधाई देते हुए खुशी जतार्इ। उन्होंने कहा कि उत्तराखंड से ही उम्मीदवार के चुने जाने से राज्य के विकास में मदद मिलेगी साथ ही उन्होंने कहा कि पार्टी ने इस बार राज्यसभा उमीदवारों में युवाओं पर अपना भरोसा दिखाया है। अजय भट्ट ने  बलूनी के राज्यसभा उम्मीदवार बनने के बाद दिल्ली में उत्तराखंड के विकास के लिए मजबूत पैरवी की बात भी कही ।

संसद में निष्क्रिय उत्तराखंडी नेताओं को भी जगाएंगे अनिल बलूनी। यह समाचार मेरे लिए निजी तौर पर भी सुखद अनुभूति देने वाला है कि भाजपा के मीडिया विभाग के राष्ट्रीय प्रमुख अनिल बलूनी अब उत्तराखंड से राज्यसभा में जाएंगे। अपनी लगन, कार्य और व्यवहार कुशलता से ऊंचाईयों तक पहुंचे बलूनी का चयन करके भाजपा हाईकमान ने उन उत्तराखंड के उन नेताओं को भी संदेश दे दिया है कि अब उम्रदारज हो जाने मात्र से ही पद नहीं मिलेगा। इसके लिए काम करना होगा। संसद की रिपोर्टिंग करते हुए मुझे 18 साल होने जा रहे हैं। इससे पहले दिल्ली, पंजाब और हरियाणा विधानसभाओं की भी रिपोर्र्टिंग कर चुका हूं और संयुक्त दिल्ली नगर निगम की भी। संसद यह हर सदन में जहां उत्तराखंड के नेता चुने गए होते हैं वहां हमेशा इस बात पर भी मेरी नजर रही है कि वे नेता किस तरह से मुद्दों को उठाते हैं। संसद में विशेष तौर पर अपने गृह प्रदेश के सांसद सदन में किस तरह से सक्रिय रहते हैं, यह देखता रहता हूं।
यह कहते हुए बहुत दुख होता है कि बच्ची सिंह रावत, सतपाल महाराज और अब रमेश पोखरियाल निशंक के अलावा ज्यादातर सासंद संसद में निष्क्रिय ही दिखे। दिल्ली विधानसभा में मोहन सिंह बिष्ट बहुत सक्रिय विधायक रहे हैं। जब मैं दिल्ली नगर निगम कवर करता था तब कुशहाल मणि घिल्डियाल भी बहुत सक्रिय थे। घिल्डियाल जी का अब निधन हो चुका है।
संसद में राज्यसभा में तो उत्तराखंड के सांसदों का बुरा हाल है। कांग्रेस के राजबब्बर ने शायद ही उत्तराखंड का कोई मुद्दा उठाया होगा। वे तो उत्तर प्रदेश के हैं, लेकिन लोकसभा के बाद राज्यसभा की शोभा बढ़ा रहे प्रदीप टमटा तो लोकसभा में भी सक्रिय नहीं दिखते थे। लोकसभा में सिर्फ निशंक ही मुद्दे उठाते दिखते हैं।
मेरा निजी अनुभव कहता है कि अनिल बलूनी राज्यसभा में अब तक उत्तराखंड से चुने सांसदों से सबसे सक्रिय सासंद साबित होंगे। क्योंकि अमर उजाला के दिनों में जब मैं केंद्र सरकार के वन और पर्यावरण मंत्रालय को देखता था और जयराम रमेश मंत्री थे, तब अनिल बलूनी तब उत्तराखंड सरकार के वन और पर्यावरण समिति के प्रमुख थे। वे तब उत्तराखंड के लगभग सभी वन क्षेत्र का दौरा कर चुके थे और आए दिन मुझे ऐसे मुद्दे देते थे कि जयराम रमेश भी मेरे सवालों ने परेशान होने लगे थे। इसके बाद जब वे भाजपा मीडिया विभाग के प्रमुख बने तो अपने रूटीन कार्य के अलावा समाचार पत्रों में उनके लेख भी प्रकाशित होने लगे। यह वही व्यक्ति कर सकता है जो सक्रिय रहता है।
दिल्ली में 11 अगस्त 2017 को मेरी पुस्तक ‘ उत्तराखंड आंदोलन-स्मृतियों का हिमालय’ के विमाचन के समय उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र रावत को बलूनी ने ही सुझाव दिया कि इस किताब को प्रदेश की लाइब्रेरियों और उच्च शिक्षा का सिलेबस में लिया जाना चहिए। मुख्यमंत्री ने ऐसा करने का वादा भी कर दिया। यह सब पुस्तकों के प्रति बलूनी के प्यार को दर्शाता है।


बहरहाल, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भाजपा अध्यक्ष अमित शाह का यह फैसला भी स्वागत योग्य है कि किसभी बाहरी नेता को भेजने की बजाए बलूनी को राज्यसभा भेजने का फैसला किया।
आप लोगों को यह भी बता दूं कि दिल्ली के मयूर विहार क्षेत्र में पले-बढ़े बलूनी ने शुरूआती दौर में पत्रकारिता भी की। हिमालय दर्पण, दैनिक जागरण आदि अखबारों में रिपोर्टिंग में रहे लेकिन मन राजनीति की ओर झुका रहा। इसलिए भाजपा के कार्यालय में जाने लगे। वहां वे तब भाजपा के उपाध्यक्ष व वरिष्ठ नेता सुंदर सिंह भंडारी के संपर्क में आए। तब नरेंद्र मोदी भाजपा के संगठन मंत्री थे और उसी दौर से मोदी का भी मार्गदर्शन भी बलूनी को मिलने लगा था।
केंद्र में अटल बिहारी वाजपेयी सरकार आने पर भंडारी जी को बिहार का राज्यपाल बनाया गया। वे बलूनी को अपना विशेष कार्याधिकारी बना कर ले गए। वहां बलूनी बिहार भाजपा नेताओं के वरिष्ठ नेताओं के भी संपर्क में आ गए। तक बिहार के मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव थे और उनकी हरकतों से राज्यपाल भंडारी नाखुश थे। इस पर भंडारी जी को गुजरात भेज दिया गया। बलूनी वहां भी राज्यपाल उनको अपना विशेषकार्याधिकारी बना कर ले गए।
तक गुजरात में केशुभाई की सरकार थी। राजनिवास में रहते हुए मोदी के साथ ही अमित शाह से उनकी घनिष्ठता बढती चली गई। उत्तराखंड राज्य बनने पर 2002 में विधानसभा के पहले चुनाव में बलूनी कोट्दवार सीट से मैदान में भी उतरे लेकिन तकनीकी कारणों से उनका नामांकन रद्द कर दिया गया। अनिल मामले को सर्वोच्च अदालत तक ले गए और लंबे संघर्ष के बाद चुनाव रद्द हो गया। हालांकि बाद में हुए चुनाव में उनको सफलता नहीं मिली क्योंकि तब प्रदेश में कांग्रेस के नारायण दत्त तिवारी की सरकार थी।
बहरहाल, बलूनी उत्तराखंड भाजपा में कई प्रमुख पदों पर रहते हुए संगठन के लिए काम करते रहे। 2007 में भाजपा सत्ता में आ गई। पहले तो मेजर जनरल खंडूड़ी और फिर रमेश पोखरियाल निशंक व फिर खंडूड़ी मुख्यमंत्री बने। निशंक के कार्यकाल में उनको वन और पर्यावरण संरक्षण समिति का प्रमुख बनाया गया। उस दौर में अनिल ने वन और पर्यावरण मामलों में महारथ हासिल कर दी थी। वे उत्तराखंड के लगगभ हर बड़े जंगलों में घूमें। उनके प्रयासों से ही वन्य जीव तश्कर संसार चंद पकड़ा गया था। उन्होंने तब भारतीय क्रिकेट टीम के कप्तान महेंद्र सिंह धोनी को भी जिम कार्बेट नेशनल पार्क का एंबेसडर बनाने का प्रयास किया था।
वन और पर्यावरण के मद्दों पर गहरी पकड़ होने से ही बलूनी की तब केंद्र में यूपीए सरकार के वन व पर्यावरण मंत्री जयराम रमेश से लगातार भिडंत होती रही। उत्तराखंड में लोग तब के वन मंत्री से ज्यादा बलूनी को जानते थे।
केंद्र में नरेंद्र मोदी के प्रधानमंत्री बन जाने और भाजपा की कमान अमित शाह के हाथ आने के बाद अनिल को पार्टी का राष्ट्रीय प्रवक्ता बनाया गया। अब हाल में मीडिया प्रकोष्ठ को विभाग का दर्जा मिल जाने के बाद अनिल को उसकी कमान सौंप दी गई। यह भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव के बराबर का पद है। पार्टी के सभी प्रवक्ता और पैनलिस्ट उनकी टीम का हिस्सा हैं। अब वे राज्यसभा में उत्तराखंड का प्रतिनिधित्व करेंगे। अनिल को वर्षों से जानने वाले कई वरिष्ठ पत्रकार व भाजपा के नेतागण कहते हैं कि बलूनी को यह सब उनकी लगन, कार्यकुशलता और व्यवहार कुशलता का फल मिला है और वे अपनी मेहनत से ही वे इन ऊंचाइयों तक पहुंचे हैं।
बलूनी जी को ढेर सारी बधाई
(वरिष्ठ पत्रकार हरीश लखेड़ा की कलम से, एफबी पर।)

RELATED ARTICLES

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

- Advertisment -

Most Popular

Recent Comments