राज्य के सरकारी स्कूलों के हालात को देख कर राज्य के बाहुबली सीएम भी परेशान है आप सभी जानते है कि सरकारी स्कूलो मे ताले लग रहे है क्योकि उन स्कूलो मे अब छात्रों की संख्या 10 से कम जो रह गई है लगभग 2 700 स्कूलो मे जब ताले लगेंगे तो सीधी बात ये भी है कि फिर ओर टीचरो की जरूरत नही आपको बता दे कि मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र रावत ने देहरादून मे कहा कि सरकारी स्कूलों में छात्रो की घटती संख्या चिन्ताजनक है। ओर सबसे योग्य शिक्षक हमारे सरकारी विद्यालयों में भी है, फिर भी सरकारी स्कूलों में छात्रों की घटती संख्या पर विचार करना होगा। शिक्षकों का अस्तित्व अब छात्रों पर निर्भर है। हमे सरकारी स्कूलों में शिक्षा की गुणवता व छात्र-छात्राओं के चहुॅंमुखी विकास पर विशेष फोकस करना होगा। सरकार द्वारा एनसीईआरटी की पुस्तके लागू की गई है। शिक्षा तंत्र में सुधार हेतु निरन्तर प्रयास किए जा रहे है। हमे मिलजुल कर विचार करना होगा कि सरकारी विद्यालयों की स्थिति को कैसे बेहतर किया जाय। मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने शुक्रवार को रामनगर डांडा थानों स्थित शहीद नरपाल सिंह राजकीय कन्या उच्च प्राथमिक विद्यालय के प्रधानाध्यापक श्री विरेन्द्र सिंह कृषाली के सेवानिवृति पर आयोजित विदाई स्नेह भोज कार्यक्रम में बतौर मुख्य अतिथि प्रतिभाग किया। था जहा पर उन्होंने अपनी इस बात को रखा
इस अवसर पर विधायक श्री शमशेर सिंह पुण्डीर, ग्राम प्रधान श्री राधेश्याम बहुगुणा व बड़ी संख्या में शिक्षक-शिक्षिकाएं व विद्यार्थी उपस्थित थे।बोलता उत्तराखंड़ कहता है कि जब राज्य के मुख्यमंत्री कह रहे है कि टीचर भी अच्छे है ओर व्यवस्था भी स्कूल मे ठीक तो छात्रों की सख्या घट क्यो रही है ? सीएम कहते है कि सबको मिलकर विचार करना होगा तो उस सब मे सरकार , शिक्षा विभाग , सिस्टम और स्कूल और टीचर ही आते हैं ओर कोई नही , गुडवत्ता लानी होगी तो गुडवत्ता लाने का काम टीचर का ही है । कुल मिलाकर जो बोलता उत्तराखंण्ड कहता है लिखता है ओर लगातार कहता है कि सरकारी स्कूलो के हालत कोई 2 साल या तीन साल मे नही सुधर सकते इस विभाग के हालत पिछले 15 सालों से खराब पर खराब चल रह है सरकार को समय देना होगा । शिक्षा की गुडवत्ता कैसे सुधरे इसके लिए बहुत सी जगह नियम मे संधोधन करने होंगे , टीचरो के पैनल को बैठा कर पूछ तय करना होगा कि आपको हम क्या दे और आपके स्कूलो को ताकि आप हमको शिक्षा की गुडवत्ता दे सके। टीचरो की जायज़ मागों को जल्द मान कर दूर कर ओर नजयाज माग को सीधे ओर नियमो के अनुसार खारिज़ करना होगा , टीचरो को वोट बैंक की नज़र से देखना बंद करना होगा । टीचरो की बेवजह की नेता गिरी पर भी ध्यान देना होगा जो कभी कभी देखने को भी मिलती है । और सबसे महत्वपूर्ण बात ये है कि शिक्षा विभाग के अंदरूनी ढांचे को उसके सिस्टम को दुरस्त करना होगा ओर आज से अभी से सिर्फ राजनीति के हिसाब से कही भी किसी भी गाँव में किसी भी नेता को वो घोषणा नह करनी होगी कि मै यहा पर स्कूल खुलवा दूँगा चाहे वहां छात्रों की सख्या भले ही कम हो।। ओर इस सब बातों को पटरी पर लाने के लिए पहले कही नियमो मे बदलाव की जरूरत है जिसके लिए केंद्र को राज्य सरकार राज्य के पहाड़ी जिलो का हवाला दे सकती है जहा लगातार बढ़ता पलायन चुनोती से कम नही ओर जब लोग ही गाँव गाँव मे नही रहेगे तो छात्रों की सख्या कहा से बढ़ेगी? बहराल बहुत से बाते है जिनके लिए त्रिवेन्द्र रावत की सरकार को समय देना उचित होगा ताकि वो राज्य के पिछले 15 सालों से चली आ रही अव्यस्था को दूर कर भविष्य के लिए नई नीतियां बना सके ।किसी को कोसने से कुछ नही होगा यह पर मिलकर हम वाली भावना से एक साथ जुटना होगा तब कुछ हालत शुधरेगे । नही तो फिर कहता हूँ कि वो दिन दूर नही जब ना सरकारी स्कूल रहेगे ना सरकारी टीचर ।