बोलता है उत्तराखण्ड आज वो बात जो दिल से लेकर दिमाग मे अक्सर चलती है कि राजनीति के माहिर कदावर नेता ,अनुभव से भरे पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत का राजनीति मे अंत स्वयं हरीश रावत खुद कर सकते है दूसरा ना कोई ये बात समय समय से लेके आज एक बार फिर साबित हो गयी है
बोलता उत्तराखण्ड़ लगातार इस बात को कह रहा था कि हरीश रावत पर राहुल गांधी को अब भी पूरा विस्वास है तभी तो पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत को राहुल गांधी के आदेश के बाद ए.आई.सी.सी. में महासचिव पद की जिम्मेदारी दी गई है। इसके साथ ही उन्हें आसाम का प्रदेश प्रभारी भी बनाया गया है। हरीश रावत साढ़े बाईस साल का संसदीय अनुभव रखते हैं, मनमोहन कैबिनेट में जल संसाधन मंत्री की भूमिका निभा चुके हैं और 3 साल तक उत्तराखण्ड प्रदेश के मुख्यमंत्री की जिम्मेदारी का भी निर्वहन कर चुके हैं।। ऐसे में उनके अनुभव का लाभ उठाने के लिए राहुल गांधी केंद्र की मुख्यधारा की राजनीति में उनका प्रयोग करना चाहते हैं जिसके लिए उन्हें सी.डब्ल्यू.सी का सदस्य भी बनाया गया है।
हरीश रावत ने छात्र जीवन से ही राजनीति प्रराम्भ कर दी थी और यूथ कांग्रेस में कई पदों पर रहे। बतौर युवा नेता हरीश रावत 1980 में अल्मौड़ा लोकसभा सीट से मुरली मनोहर जोशी के खिलाफ मैदान में उतरे और तत्कालीन कद्दावर नेता को हराकर सबको चैका दिया था। फिर 1984 और 1989 में भी लोकसभा चुनाव में जीत हासिल की। उत्तराखण्ड निर्माण के बाद हरीश रावत को कांग्रेस का प्रदेश अध्यक्ष बनाया गया। बतौर अध्यक्ष 2 साल से भी कम समय में उन्होंने 1 विधायक और 1 एमएलसी वाली कांग्रेस को 36 के जादूई आंकड़ें तक पहुंचाने का कार्य किया लेकिन मुख्यमंत्री की कमान एनडी तिवारी को मिली और हरीश रावत को राज्य सभा भेज दिया गया। 2009 में उन्होंने हरिद्वार लोकसभा सीट से जीत हासिल की और मनमोहन सरकार में केंद्रिय राज्य मंत्री का पदभार संभाला। 2012 मे उन्हें मंत्री बनाया गया और जल संसाधन मंत्रालय दिया गया। 2014 में उन्हें उत्तराखण्ड प्रदेश का मुख्यमंत्री बनाया गया। 2016 में अपने ही विधायकों की बगावत के बाद प्रदेश में कुछ माह के लिए राष्ट्रपति शासन भी रहा लेकिन सुप्रीम कोर्ट से फ्लोर टेस्ट की जीत के बाद उनकी सरकार बहाल हो गयी 2017 के विधानसभा चुनाव में उन्हें दो सीटों से हार का मुंह देखना पड़ा और प्रदेश में कांग्रेस ने भी सरकार गंवा दी। हरीश रावत ने इस हार की जिम्मेदारी ली लेकिन एक्टिव होकर बिना किसी पद के भी राजनीति करते रहे। ।
उनके उठाये गये मुद्दों से जहां एक ओर भाजपा सरकार खामोश हो जाती थी वहीं कांग्रेस के अध्यक्ष और नेता प्रतिपक्ष भी असहज महसूस करते थे। खासकर उनके द्वारा दी जाने वाली उत्तराखण्ड उत्पादतो की दावत उनकी राजनीति को ही नहीं अपितु उनके कद को भी जिन्दा रखती थी। एक पार्टी में तो प्रदेश के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत भी शामिल हुए थे और गले में हाथ डालकर लोकतांत्रिक सियासत का नमूना पेश किया था।
हरीश रावत को अब कांग्रेस का महसाचिव बनाया गया है। ये कहने में कोई दो राय नहीं है कि उन्हें कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी का खासा करीबी माना जाता है और ये जिम्मेदारी आने वाले समय में राष्ट्रीय राजनीति की एक नई दस्तक दे रही है। गौरतलब है कि राहुल गांधी ने अपनी नई टीम पर ज्यादा भरोसा किया है और अपनी माताजी के समय के कद्दावर नेताओं को किनारे कर दिया है। जिसमें जर्नाद्धन द्विवेदी जैसे बड़े नाम शामिल है। उनकी नई टीम ने असर भी दिखाया है। कर्नाटक में गठबंधन वाली सरकार बनाने में कांग्रेस के नये संगठन महासचिव अशोक गहलौत का बड़ा हाथ माना जाता है। अब हरीश रावत भी महासचिव पद के साथ-साथ आसाम के प्रभारी की जिम्मेदारी निभायेंगे और आगामी 2019 उनके परीक्षा की घड़ी साबित होगा। आज बडी दिलचस्प बात ये है कि जिन्होंने हरीश रावत का साथ छोड़ दिया था वो अब फिर हरीश रावत के पीछे खड़े होने को तैयार है पर शर्म आती है आये तो कैसे कुछ लोग कह रहे है कि अब इंदिरा ह्रदयेश ओर प्रीतम सिंह के लिए अच्छा हो गया उनकी रहा का रोड़ा हट गया उत्तराखंड से तो कोई बोल रहा है कि ये रोड़ा नही अब पहाड़ बन गया है कही से भी राजनीति करे या कही भी रहे पर उत्तराखण्ड की राजनीति मे हरीश रावत की अपनी जगह है जिसे कोई नही ले सकता ओर अब तो हरीश रावत असम से लेकर दिल्ली और उत्तराखण्ड की हर राजनीति पर ओर जायदा सक्रिय हो कर काम करेंगे। क्योकि हर दा को इस उम्र मे एक संजीवनी मिल गयी है जिसकी उनको तलास थी और वो सजीवनी है राहुल गांधी का विस्वास साथ ही हर दा का मंदिर मंदिर जाना कीर्तन भजन करना सफल रहा भगवान ने उनको एक बार फिर खुद को बेहतर साबित करने का अवसर प्रदान किया बोलता उत्तराखण्ड से बात करते समय हरीश रावत ने कहा कि वो इस विस्वास ओर नई जिमेदारियो के लिए अपने नेता राहुल गांधी का दिल से धन्यवाद करटे है और अभी सिर्फ इतना ही कहुगा की मेरी आखरी इच्छा है कि हम सब मिलकर राहुल गांधी जी को प्रधान मंत्री बनता देखना चाहते है जिसके लिए हम सब मिलकर कांग्रेस को ओर मजबूत करेगे हरीश रावत ने उत्तराखण्ड की राजनीति और उन पर टिपणी करने वाले सवाल के जवाब मैं कहा कि यहा कांग्रेस के सभी कार्यकर्ता और बड़े नेता सब उनका ही परिवार है बस हम सब साथ मिकलर चलेंगे ओर इस वक़्त हमारा मिशन 2019 है जिसके लिए हम सबको छोटे मोटे मुटाव को मिलाकर आगे बढ़ना है आज प्रीतम सिंह जी अच्छा कर रहे और इंदिरा जी भी अपनी भूमिका खूब निभा रही है आप पत्रकार को तो छोटी सी बात का तिल का ताड़ बनाना आता है हम सब एक है और एक होकर मिशन 2019 पर फ़ोकस करेगे
राहुल गांधी ओर हरीश रावत का मिशन 2019 क्या कुछ है ख़ास पढ़े पूरी रिपोर्ट
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