पूरा भारत जहा आज़ादी के रग मे रंगा रहा वही उत्तराखंड का उत्तरकाशी जिला भी पूरी तरह से पहली बार 70 के बाद कुछ इस तरह आजादी के जश्न मे डूबा की उनके अपने सभी दुःख दर्द मानो गायब हो गए हो। आपको बता दे कि हमारे उत्तराखंड़ के शहर से लेकर कस्बे और गांवों से लेकर हिमालय की गोद में भी स्वाधीनता की गूंज गुजी ओर पहली बार उत्तरकाशी जिले में भी दस हजार फीट की ऊंचाई पर स्थित भंयूडी बुग्याल (हिमालयी घास के मैदान) में ग्रामीण लोक गीतों और पारंपरिक नृत्य से आजादी का जश्न मनाया गया।
आपको बता दे कि जब उत्तरकाशी में दस हजार फीट की ऊंचार्इ पर तिरंगा फहराया गया तो सबकी आंखे उसी पर ठहर सी गर्इ। तिरंगे को लहराते देख मन में एक अलग ही उत्साह बन रहा था। जोश ओर जुनून साफ झलक रहा था पूरे पारंपिक रीति रिवाज के तरीके से यहां आजादी के जश्न को खूब मनाया गया। आपको बता दे कि छानी में रहने वाले ग्रामीणों ने यह पहली बार ये आयोजन किया।
80 वर्षीय देवानंद सोमवाल और 85 वर्षीय वीर सिंह राणा ने यहां ध्वजारोहण किया। साथ ही सभी ने मिलकर राष्ट्रगान भी गाया। ग्रामीणों ने भारत माता की जय और देश के महापुरुषों के नारे लगाए। जिसके बाद ग्रामीणों ने बुग्याल में लोक गीत व लोक नृत्य रांसो, तांदी की प्रस्तुति दी।
आजदी के अवसर पर यह सामूहिक भोज का आयोजन भी किया गया। जिसमें खीर और कौंया (जंगली घास) की हरी सब्जी बनाई गई। जाड़ी संस्था के संयोजक द्वारिका सेमवाल ने बताया कि भंयूडी बुग्याल में पहली बार स्वतंत्रता दिवस का आयोजन हुआ है। भंयूडी बुग्याल में सदियों से कमद, ठाडी, कुमार कोट, भड़कोट, बागी के ग्रामीण बरसात के मौसम में अपनी गाय भैंस, भेड़ बकरियों के साथ रहते हैं। भंयूडी बुग्याल समुद्रतल से 10 हजार फीट की ऊंचाई पर है तथा उत्तरकाशी से भंयूडी बुग्याल 55 किलोमीटर दूर है। बोलता उत्तराखंड़ इन सभी गाँव वालों को सलाम करता है प्रणाम करता है यही है असली भारत के अनेक रंग रूपों में से सबसे बेहतर रंग । भले ही आज़ादी के 71 साल बाद भी ये लोग मूल भूत सुविधाओं से आज भी अंजान होंगे । ओर पहाड़ मे दर्द भरी जिंदगी जीते होगे पर फिर भी असली आज़ादी के मायने इनसे बेहतर कोन जानता होगा। इन्होंने जो तिरंगा फहराया किसी अखबार या चैनल मे फ़ोटो की खिंचवाने के लिए नही बल्कि अपनी देश प्रेम की सच्ची भवानाओ को आज इस अंदाज मे व्यक्त किया ।इसलिये बोलता उत्तराखंड़ का इन सबको दिल से सलाम जय हिंद, जय भारत, जय उत्तराखंड ,जय जवान, जय हो पहाड़ वासियों की ।