गरीबी मे 5 लाख में अपनी किडनी बेचकर बनी थी रैकेट की ‘मास्टरमाइंड’, फिर ऐसे करती थी दूसरों की किडनियों का सौदा ।
ख़बर है कि किडनी ट्रांसप्लांट के काले धंधे की मुख्य एजेंट चांदना गुड़िया पांच लाख रुपये में अपनी किडनी भी बेच चुकी है। इसके बाद ही वह और पैसों के लालच में अमित राऊत के गिरोह के संपर्क में आई और लोगों को उसके पास भेजकर कमीशन डकारने लगी। बस यही से वो पाप के मकड़जाल मे घुस गई।
आपको बता दे कि पुलिस पूछताछ में इस बात का खुलासा हुआ है। चांदना को कोलकाता के हावड़ा मजिस्ट्रेट की कोर्ट ने 120 घंटे की ट्रांजिट रिमांड पर दिया था, जिसके बाद दून पुलिस उसे देहरादून ले आई है।
आपको बता दे कि 12 सितंबर 2017 को लालतप्पड़ स्थित उत्तरांचल डेंटल कॉलेज में संचालित हो रहे गंगोत्री चेरिटेबल अस्पताल में किडनी ट्रांसप्लांट के धंधे का भंडाफोड़ हुआ था। कुछ लोगों को पुलिस ने मौके से गिरफ्तार किया, जबकि रैकेट के सरगना अमित राऊत को बाद में गिरफ्तार किया गया था। खबर है कि गरीबी के चलते लोगो ने पांच लाख रुपये में अपनी किडनी बेच दी थी
मौके से पकड़े गए कुछ लोगों ने पुलिस को बताया था कि उन्हें कोलकाता के हावड़ा इलाके में रहने वाली चांदना गुड़िया नाम की महिला ने यहां भेजा था। इसके बाद पुलिस चांदना की तलाश में जुट गई थी। पुलिस के अनुसार लोगों के पास न तो उसका कोई फोटो था और न कोई मोबाइल नंबर।
जिसके कारण उसे तलाशने में काफी परेशानी हुई। अंतत: बीते शनिवार को पुलिस ने चांदना को हावड़ा के जीआईपी कॉलोनी स्थित एक घर से गिरफ्तार कर लिया। पुलिस के मुताबिक चांदना ने वहां एक स्वास्थ्य केंद्र खोला हुआ था, जिसमें काफी भीड़ रहती थी।
ओर वह खुद को नर्स बताकर वहां रह रही थी। गिरफ्तारी के बाद उसने पुलिस को इस धंधे में आने की कहानी बताई। पुलिस के अनुसार चांदना ने गरीबी के चलते पांच लाख रुपये में अपनी किडनी बेच दी थी।
ओर यह पैसे कर्ज चुकाने और अन्य मद में खर्च हो गए तो उसने फिर उन्हीं लोगों से संपर्क साधा जिन्होंने उसकी किडनी निकाली थी। उन लोगों ने चांदना को एजेंट बनने का लालच दिया और चांदना उनकी कमीशन एजेंट बन गई। अभी तक पुलिस पूछताछ में पता चला है कि वह सिर्फ अमित राऊत के गिरोह की ही एजेंट नहीं थी बल्कि देश के अन्य गिरोह भी उसके संपर्क में है।
बताया जा रहा है कि अमित राऊत के गिरोह ने लालतप्पड़ के उक्त अस्पताल में 75 किडनी निकालकर देश के अलग-अलग हिस्सों में बेची हैं। एक किडनी को वह 45 से 60 लाख रुपये में बेचते थे।
जबकि, कम पढ़ी-लिखी होने के कारण गिरोह सरगना उसे मात्र 25 हजार रुपये प्रति किडनी के हिसाब से कमीशन देता था। उसने पुलिस को बताया कि उसका पति बेरोजगार है। लिहाजा बच्चों और पति की जिम्मेदारी भी उसी पर है। ऐसे में उसने इस धंधे में उतरने की सोची।
आपको बता दे की पुलिस के अनुसार चांदना गुड़िया लोगों को विदेश में नौकरी दिलाने के बहाने देहरादून भेजती थी। कहती थी कि उन्हें शुरूआत में इसके लिए कुछ मेडिकल टेस्ट कराने होंगे, जिसके बाद खर्च के लिए पांच लाख रुपये मिलेंगे।
ओर लोग उसकी बातों में आ जाते थे। उन्हें पांच लाख रुपये तो मिलते थे, लेकिन कोई नौकरी नहीं। ऐसे में कुछ लोग जब खफा हुए तो यह मामला धीरे-धीरे उजागर होने लगा और गत् वर्ष सितंबर में उसका भंडाफोड़ हो गया। था । बहराल इस कहानी को सुनकर जानकर तो यही लगता है कि ये गरीबी भी इंसान को कहा लाकर खड़ा कर देती है ओर दूसरा उनका खुद का लालच।ओर आज सब सलाखों के अंदर
दो रोटी खाओ ओर कमाओ ईमानदारी से वरना बुरे काम का नतीजा सामने है।