#दलबदलू- #गद्दार- #घर_वापसी- #माफी जैसे शब्दों के बाण आजकल उत्तराखंड में खूब चल रहे हैं या फिर इरादतन चलवाये जा रहे हैं ??
जबकि वर्ष 2016 और फिर 2017 में कांग्रेस से टूट कर बीजेपी में गये नेताओं की घरवापसी के किसी भी निर्णय को ‘हाईकमान का अधिकार क्षेत्र’ बताकर प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष व नेता प्रतिपक्ष ने मामले का पटाक्षेप भी कर दिया है।
लेकिन क्या इस बात की समीक्षा नहीं होनी चाहिये कि
👉 सत्ता में रहते हुए भी पार्टी में इतनी बड़ी टूट क्यों हुई ?
👉 उससे भी महत्वपूर्ण यह कि टूट कर जाने वाले सभी नेता कांग्रेस पार्टी से नाराज़ थे या किसी व्यक्ति विशेष और उसकी तानाशाही कार्यप्रणाली से ?
👉 पार्टी की टूट को सम्भवतः रोका जा सकता था फिर भी टूट को क्यों होने दिया गया ?
पर शायद समीक्षा होगी नहीं ?
उत्तराखंड की प्रबुद्ध जनता “सबकी चाहत” का फैसला 2017 में दो-दो जगह से सुना चुकी है ..
अतः 2022 में प्रीतम सिंह नेतृत्व में पूर्ण बहुमत के साथ निश्चित वापसी कर रही कांग्रेस की जड़ों को कमजोर करने के ऐसे प्रयास सफल नहीं होंगे।
2022 में कांग्रेस पार्टी प्रीतम सिंह जी के नेतृत्व में सभी सीटों को जीतने के लिये चुनावी रण में उतरेगी, 2017 की तरह अधिकांश सीटों (धनौल्टी, टिहरी, नरेंद्रनगर, यमकेश्वर +++ ) पर जीतने-हारने के खेल नही खेले जायेंगे
फेसबूक से लो गई पोस्ट
इस पोस्ट को देख कर लगता है कि कॉग्रेस में कुछ ठीक नही चल रहा है बल !!!