आपको तो मालूम ही है कि मुजफ्फरनगर गोली कांड के 24 साल बाद भी आंदोलनकारियों को नहीं मिला पाया है न्याय।हर साल यही बात दोहराई जाती है कि सरकार की लाहपरवाही ओर ठोस पैरवी ना होने के कारण न्याय नही मिल पाया
राज्य की बीजेपी नेत्री ओर वरिष्ठ राज्य आंदोलनकारी सुशीला बलूनी कहती है कि उत्तराखंड आंदोलन के 24 साल बीत जाने के बाद भी आज तक मुजफ्फरनगर कांड के दोषियों को सजा नहीं मिल पाई। आंदोलनकारियों को न्याय मिला होता तो दोषी सलाखों के पीछे होते। न्यायालयों को भी इस बारे में सोचना चाहिए।
यही नही बलूनी ने कहा कि आंदोलनकारियों के संघर्ष व कुर्बानी की बदौलत हमें उत्तराखंड राज्य मिला। पर आज राज्य गठन के 18 साल बाद भी मुजफ्फरनगर गोलीकांड के दोषियों को सजा नहीं मिल पाई।
बकौल बलूनी, हमारी स्थिति ‘तीन न तेरह में’ वाली है। हमारे पास न तो सत्ता की पावर है और न ही कुछ और। राज्य के आंदोलनकारियों को न तो न्याय मिल रहा है और न ही जिस लक्ष्य को लेकर संघर्ष किया गया था, वह हासिल हो पाया है।
गोलियों से भुना गया और महिलाओं का अपमान किया गया
उत्तराखंड राज्य की मांग के पीछे आंदोलनकारियों का यही मकसद था कि पहाड़ों का विकास होगा और पलायन रुकेगा। लेकिन आज ऐसी स्थिति बन गई है कि पहाड़ खाली हो रहे हैं।
आपको बता दे कि मुजफ्फनगर गोलीकांड की घटना का स्मरण करते हुए बलूनी ने कहा कि उस दिन उनकी ऐसी हालत थी कि उन्हें 102 डिग्री बुखार था। इसके बाद भी वह आंदोलन में शामिल हुईं। क्योंकि राज्य संघर्ष के लिए उन्होंने ही महिलाओं को इकट्ठा किया था। मुजफ्फरनगर में आंदोलनकारियों को गोलियों से भुना गया और महिलाओं का अपमान किया गया।
बहराल ये दर्द सिर्फ बलूनी का ही नही बल्कि राज्य के सभी राज्य अनोदलन कारियो का है उन सभी का ये कहना है कि आज तक कि सरकारो ने शहीदों को दो फुल चढ़ाकर श्रदांजलि देने क्व सिवा कुछ नही किया। और यही वजह है कि आज भी 18 साल बाद राज्य आंदोलन कारी सड़क पर है और लगातार धरने पर बैठा रहता है।