दीपावली पर सरकारी कर्मचारियों के बुरी खबर है। उत्तराखंड में निकाय चुनाव की आचार संहिता लागू होने के चलते सातवें वेतनमान के भत्ते एक बार फिर लटक गए हैं। माना जा रहा है कि सरकार चुनाव के दौरान भत्तों का ऐलान नहीं करेगी।
वित्त मंत्री प्रकाश पंत की मानें तो ऐसे फैसले आचार संहिता के दायरे में आते हैं, इसलिए सरकार सतर्कता बरतेगी। दीपावली में भत्तों की सौगात मिलने की जो उम्मीद कर्मचारियों ने बांधी थी, फिलहाल वो टूट गई है। यही वजह है कि कार्मिक संयुक्त मोर्चा ने भी अपना आंदोलन स्थगित कर दिया है।
प्रदेश में आचार संहिता लागू होने से पहले यही माना जा रहा था कि सरकार अक्तूबर माह के आखिरी हफ्ते में सातवें वेतनमान के भत्तों का ऐलान करके कर्मचारियों को दीपावली का तोहफा देगी।
20 नवंबर के बाद ही कोई निर्णय होगा
वित्त विभाग के सूत्रों की मानें तो भत्तों के खर्च को लेकर आकलन भी तैयार हो चुका था। भत्तों की गेंद प्रदेश मंत्रिमंडल के पाले में है। मुख्य सचिव और सचिव वित्त ने भत्तों पर अपनी रिपोर्ट कैबिनेट के समक्ष काफी पहले ही प्रस्तुत कर दी थी।
जिस पर वित्त मंत्री की समिति ने भी कार्मिक संगठनों के साथ वार्ता करके अपनी अनुशंसा कैबिनेट को दे दी है। कर्मचारी यह आस लगाए बैठे थे कि 25 अक्तूबर को प्रस्तावित कैबिनेट की बैठक में सरकार भत्तों का ऐलान कर देगी।
इस बीच निकाय चुनाव की घोषणा होने के साथ आचार संहिता प्रभावी हो गई। यानी सरकार अब भत्तों पर 20 नवंबर के बाद ही कोई निर्णय लेने की स्थिति में है।
आचार संहिता लागू होने के चलते कर्मचारियों के दीपावली बोनस पर भी पेंच है। दरअसल, सरकार हर साल अपने कर्मचारियों के लिए दीपावली से पहले बोनस की घोषणा करती है। प्रदेश में कर्मचारियों को बोनस देने की परंपरा तो है, लेकिन इसके लिए उसे हर साल अलग से शासनादेश करना पड़ता है।
देहरादून नगर निगम में मेयर पद के चुनाव के लिए कर्मचारी अपना प्रतिनिधि भी उतार सकते हैं। ये उम्मीदवार कोई सेवानिवृत्त कर्मचारी नेता भी हो सकता है। इस बारे में कर्मचारियों के मध्य गंभीरता से विचार हो रहा है