आपको बता दे कि मॉनसून सत्र के कल तीसरे दिन सदन में वित्तीय वर्ष 2016- 2017 की कैग रिपोर्ट पेश की गई. आपको बता दे कि कैग रिपोर्ट में साफ कहा गया है कि स्वास्थ्य विभाग में किराये पर लिये गए वाहनों के भुगतान पर संदिग्ध रूप से 1.25 करोड़ रुपये का गबन हुआ है. रिपोर्ट के अनुसार सरकार को कुल 800 करोड़ की वित्तीय हानि पहुंचाई गई है. कैग ने सरकार द्वारा कराए गए विभागीय स्तरों पर अलग-अलग जांचों पर प्रश्न खड़े किए थे.
आपको बता दे कि कैग रिपोर्ट के अनुसार, CAG आहरण एवं संवितरण अधिकारी द्वारा प्रचलित वित्तीय को अनदेखा कर तथा आवश्यक विवरण, और दावों की प्रमाणिकता की जांच किये बिना ही ट्रेवल एजेंसी द्वारा प्रस्तुत दावों के विरुद्ध भुगतान किया गया, जिसके परिणाम स्वरूप 1.25 करोड़ का गबन पाया गया. प्रकरण में शासन द्वारा विभागीय अनुशासनात्मक कार्रवाई प्रारम्भ की गई और संबधित चिकित्सा अधिकारियों के आरोप पत्र निर्गत किये गए थे, लेकिन राजकोष को हुई 1.25 करोड़ की वित्तीय हानि की वसूली अभी तक नहीं की गई.
आपको बता दे कि CAG ने इन अधिकारियों को कटघरे में ला कर खड़ा कर दिया है
मुख्य चिकित्सा अधिकारी उधम सिंह नगर के अभिलेखों की जांच में पाया गया कि किराये पर ली गयी टैक्सियों के 18 बिलों का ₹6.96 लाख का भुगतान संदिग्ध बिलों के विरुद्ध किया गया.मुख्य चिकित्सा अधिकारी देहरादून द्वारा किराये पर ली गयी टैक्सियों के 41 बिलों का ₹18.60 लाख का भी संदिग्ध बिलों द्वारा ही किया गया.₹58.44 लाख की धनराशि का भुगतान ऐसे 183 बिलों के सापेक्ष किया गया जिनपर वहां पंजीकरण संख्या अंकित नहीं थी.₹48.52 लाख का भुगतान ऐसे 142 बिलों पर किया गया जिनपर न तो वहां संख्या और न ही यात्रा की तिथि अंकित थी.₹3.11 लाख का भुगतान ऐसे बिलों के सापेक्ष किया गया जहां एक ही वाहन दो या तीन स्थानों पर अलग अलग जनपदों में एक ही दिन एवं समय पर चल रहे थे.3.68 लाख रुपये का भुगतान ऐसे बिलों के विरुद्ध किया गया, जिसमें 12 वाहनों का पंजीकरण स्कूटर, थ्री व्हीलर या फिर प्राइवेट कार का पाया गया.इनके अलावा स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों ने 11.12 लाख का भुगतान ऐसे बिलों के विरुद्ध किया जिसमें 21 वाहनों का पंजीकरण क्षेत्रीय संभागीय कार्यालय में दर्ज ही नहीं था.
आपको बता दे इसके अलावा कैग ने कुछ सवाल उठाये है जानकारी अनुसार
वित्तीय वर्ष 2016-17 में कैग ने अपनी रिपोर्ट में कई गंभीर सवाल खड़े किए.गंगा के जीर्णोद्धार में पेयजल विभाग की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल.गंगा और उसकी सहायक नदियों में धड़ल्ले से गिरते रहे सीवेज.2015 में विभाग ने 112 नाले चिन्हित किये जिनका ट्रीटमेंट होना था, लेकिन विभाग धीमी चाल चला.2017 में 65 गंदे नाले गंगा नदी में गिरते रहे.राज्य सरकार ने गंगा नदी के जीर्णोद्धार के लिए 2012-13 से 2016-17 तक 58.71 फीसदी धनराशि व्यय नहीं की.2012-2013 से 2016-17 के बीच 265 गांव ओडीएफ घोषित किये गए.
जबकि जानकारी अनुसार कैग के भौतिक सत्यापन में यह गलत पाया गया
आपको बता दे कि मई 2017 में उत्तराखण्ड को ओडीएफ की घोषणा गलत थी! पूरी तरह उस वक्त राज्य खुले में शौच मुक्त नहीं हुआ था.स्वच्छ भारत मिशन के क्रियान्वयन में उत्तराखण्ड सरकार का वित्तीय प्रबंधन अपर्याप्त था.2016-17 में राज्य सरकार ने शौचालय निर्माण के लिए राज्यांश का 10.58 करोड़ रुपया जारी ही नहीं किया.पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार के कार्यकाल के दौरान की है कैग रिपोर्ट.
खनन विभाग में लगभग 30 लाख का राजस्व नुकसान.
CAG ने जो सवाल उठाये उनमे
अवैध खनन करने वालों की माफ की गई पेनेल्टी।.देहरादून के खनन अधिकारी और जिला अधिकारी पर उठाये सवाल। साल 2015 के जुलाई अगस्त का है मामला.शराब कारोबारियों पर आबकारी विभाग की मेहरबानी.शराब कारोबारियों पर नहीं लगाया 258 करोड़ का जुर्माना.पर्यावरण नियमों का पालन न करने पर लगना था जुर्माना.विभाग ने शराब कारोबारियों की मनमानी पर मूंदी आंखें.
बहराल इस रिपोर्ट ने जनता के आगे बहुत कुछ ला कर रख दिया है ।
हम उम्मीद करते है कि यहा भी दिखाई दे त्रिवेन्द्र सरकार का जीरो टालरेश ।