है डबल इज़न की सरकार अब ओर कितने उत्तराखंड के सरकारी स्कूलों मे ताले लटकेंगे लगभग 560 प्राथमिक विद्यालयों की खस्ताहालत आपके सामने है फिर बात
कुमाऊं की हो या गढ़वाल के सरकारी स्कूलों की सब पर लटकने वाले हैं ताले
आपको बता दे कि उत्तराखंड राज्य के दोनों मंडलों (कुमाऊं और गढ़वाल) में ऐसे सरकारी स्कूलों को बंद करने की तैयारी है, जिनमें छात्रों की संख्या दस से कम है। कुमाऊं और गढ़वाल के ग्रामीण क्षेत्रों में लगातार घटती छात्रों की संख्या ने तकरीबन 2430 स्कूलों को बंदी के कगार पर पहुंचा दिया है।
आप को बता दे कि राज्य गठन के बाद से अब तक सरकारी प्राथमिक विद्यालयों में छात्रों की संख्या घटकर 50 फीसद से भी कम रह गई है। घटती संख्या से परेशान शिक्षा विभाग ने दस या इससे कम छात्र संख्या वाले ऐसे विद्यालयों को नजदीकी विद्यालयों में मिलाने के आदेश दिए थे। मीडिया रिपोर्टस के मुताबिक राज्य में 560 सरकारी प्राथमिक विद्यालय भवन जर्जर हाल में हैं। 9478 विद्यालय भवन बूढ़े हो चले हैं। 20 वर्षों से अधिक पुराने इन भवनों की मरम्मत और जर्जर भवनों का पुनर्निर्माण न तो सरकार और न ही माननीयों की प्राथमिकता में है। हालात तो देखिए एक प्राथमिक विद्यालय ऐसा है, जिसके पास भवन के नाम पर मात्र एक कक्ष है। कक्षा एक से पांचवीं तक 28 छात्र-छात्राएं एक ही कक्ष में बैठकर पढ़ने को मजबूर हैं। वहीं एक इंटर कॉलेज भवन का निर्माण 12 वर्षों के बाद आज तक पूरा नहीं हो सका है।
खास बात ये है कि जिन जीर्ण-शीर्ण प्राथमिक विद्यालय भवनों के दोबारा निर्माण को सर्व शिक्षा अभियान के तहत धन देने का भरोसा केंद्र सरकार ने दिलाया, वह भी नहीं मिल सका। राज्य सरकार के साथ ही स्थानीय विधायकों और सांसदों ने भी असुरक्षित हो चले इन विद्यालय भवनों को दोबारा संवारने की जरूरत तक महसूस नहीं की है। 560 जर्जर विद्यालय भवनों में से 125 विद्यालयों में छात्रसंख्या दस से कम है। लिहाजा इन विद्यालयों का बंद होना तय है। संकटग्रस्त विद्यालय भवनों पर बंदी की तलवार लटकने से राज्य को फिलहाल ये राहत जरूर मिली कि 125 भवनों के निर्माण का दबाव हट गया है। विधायकों की ओर से पूछे गए सवालों के सरकार के जवाब भी आखें खोलने वाले हैं।
शिक्षा मंत्री अरविंद पांडेय ने बताया कि जर्जर हाल 560 प्राथमिक विद्यालय भवनों में से 435 के भवन निर्माण और मरम्मत के लिए राज्य सेक्टर, जिला योजना एवं सर्व शिक्षा अभियान के तहत निर्माण कार्य कराए जा रहे हैं। लाटूगैर इंटर कॉलेज के भवन का निर्माण वित्तीय संसाधन उपलब्ध होने पर किया जाएगा। अब बोलता है उत्तराखंड़ की राज्य के शिक्षा मंत्री जी को डबल इज़न की सरकार को की बजट की क्या कमी है आपको ।आपके पास तो ना धन की कमी है ना पावर की । फिर ये हालात सुधारने मे समय क्यो लग रहा है। वैसे भी शिक्षा के बदहाल को देख कर मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र रावत को भी दर्द है ओर इस दर्द का इलाज़ भी मुख्य मंत्री को खुद ही तलाशना होगा । उम्मीद करते है कि हमारे मुख्यमंत्री जल्द रास्ता तलासेगे ।
वरना वो दिन दूर नही जब राज्य का सबसे बदनाम विभाग स्वास्थ्य और शिक्षा होगा जनंता कि नज़र मे ।
ओर ये भी कह दू की इन दोनो विभागो की बदहाली के लिए पिछली 17 सालो की सरकारे बराबर की दोषी है।