देहरादून- थराली उपचुनाव की सरगर्मियां उफान पर हैं। भाजपा शाह परिवार की जीत के प्रति आश्वस्त है लिहाजा पूर्व विधायक स्वर्गीय मगनलाल शाह की धर्मपत्नी मुन्नी देवी को ही थराली सीट पर उतारना चाहती है। दो-एक दिन में इसका ऐलान भी हो जाएगा।
क्षेत्रीय राजनीतिज्ञ परिवार से ताल्लुक रखने वाली मुन्नी देवी चमोली जिला पंचायत की अध्यक्ष भी हैं । वावजूद इसके थराली उपचुनाव में वे निष्कटंक जीत हासिल कर लें ऐसा दिखाई नहीं दे रहा है।
वो इसलिए कि भाजपा के पाले में आए गुड्डू लाल के तेवर बगावती ही हैं और उनमें नरमी नहीं है।जबकि थराली सीट पर गैरसैंण मुद्दे के बादल भी मंडरा रहे हैं। क्षेत्र के युवा गैरसैंण के पक्ष मे हैं। गुड्डू लाल को युवाओं पर भंरोसा है क्योंकि 2017 के आम चुनाव में गुड्डू लाल ने प्रचंड मोदी लहर के बावजूद युवाओं के सहारे 7000 से ज्यादा वोट हासिल किए थे।
ऐसे में गुड्डू लाल को भाजपा पप्पू समझने की भूल नहीं कर रही है लिहाजा शाही अंदाज में धमका भी रही है। खबरों की माने तो हाल में भाजपा में शामिल गुड्डू लाल के बगावती तेवरों नरम करने के लिए पार्टी प्रदेश अध्यक्ष अजय भट्ट ने गुड्डू से मुलाकात की।
मीडिया रिपोर्ट्स की माने तो बात नहीं बनी।जिस पर भट्ट ने उन्हें तल्ख नसीहत देते हुए कहा कि गुड्डू लाल हम 57 थे अगर तुम्हारी वजह से थराली हार भी गए तो 56 हो जाएंगे हमारी सेहत पर कोई फर्क नहीं पड़ेगा लेकिन अपना सोचो।
अब मुद्दा ये है कि अगर वाकई में गुड्डू को अगर भाजपा प्रदेश अध्यक्ष अजय भट्ट ने इस अंदाज में हड़काया होगा और अपनी जीत हार का गुमान झलकाया होगा तो बात दूर तलक जाएगी।
क्योंकि थराली उपचुनाव सिर्फ एक सीट पर हार-जीत का सवाल नहीं है। भट्ट जी को बेशक ये मुगालता हो कि एक सीट की हार से भाजपा की सेहत पर असर नहीं पड़ेगा। भट्ट जी असर पड़ेगा क्योंकि थराली उपचुनाव का मतलब भाजपा की साख भी है गैरसैंण के प्राण भी।
2019 के लोकसभा चुनाव से पहले थराली सीट हारने पर देश भर में ये संदेश जाएगा कि भाजपा की लोकप्रियता खत्म हो गई है। न मोदी का जादू बाकी है और न ”अच्छे दिन” आएंगे इस डॉयलॉग पर जनता को यकीन है।
वहीं भाजपा की हार ये भी साबित कर देगी कि गैरसैंण सिर्फ जिद नहीं जनता का जूनून है और उत्तराखंड की सेहत सुधारने के लिए जरूरी भी। ये 56-सतावन सीटों का सवाल नहीं, उस साख पर बट्टा लगने का सवाल है जिस साख ने 2014 के लोकसभा और 2017 के विधानसभा चुनाव में विपक्ष को नेस्तनाबूत कर दिया था।
यानि थराली उपचुनाव की हार से बेशक उत्तराखंड के सदन में भाजपा की सेहत पर फर्क न पड़े। देश भर में भाजपा की सेहत और उसके सम्राज्य के अच्छे दिनों पर फर्क पड़ेगा क्योंकि चुनाव करीब हैं और विपक्ष को परछिद्राणी पश्यन्ति का मौका मिल जाएगा।