एम्स निदेशक का बड़ा बयान, कुछ लोग स्वामी सानंद पर अनशन न तोड़ने का बना रहे थे
आपको बता दे कि एम्स, ऋषिकेश के निदेशक डॉ. रविकांत ने खुलासा किया है कि स्वामी सानंद अपना अनशन खत्म करना चाहते थे। लेकिन कोई उन्हें ऐसा न करने के लिए हिदायत दे रहा था और इसी बारे में उन्हें एसएमएस और फोन किए जा रहे थे। एक न्यूज वेबसाइट से हुई एक्सक्लूसिव बातचीत के वीडियो में निदेशक को यह कहते हुए सुना जा सकता है।
वेबसाइट से बातचीत में एम्स निदेशक ने कहा कि वे दावे के साथ कह सकते हैं कि स्वामी सानंद अपना अनशन खत्म करने का मन बना चुके थे। डॉक्टरों की टीम भी यही बात कह रही है। लेकिन, कोई उन्हें फोन और एसएमएस करके अभी और इंतजार करने को कह रहा था। ऐसा कौन कर रहा था, इस सवाल पर डॉ. रविकांत ने कहा कि वे अभी किसी का नाम कोड करना नहीं चाहते।
उन्होंने यह भी कहा कि हम किसी सियासी दल की कठपुतली नहीं हैं। सरकारें तो आती जाती हैं। एम्स का काम जनता की सेवा करना है और हम ये काम पूरी ईमानदारी से कर रहे हैं। न्यूज वेबसाइट पर चल रहे एम्स निदेशक के इस बयान से कयासबाजी का दौर शुरू हो चुका है।
आपको बता दे कि खुफिया पुलिस भी इस तथ्य के तह में जाने के लिए सक्रिय हो गई है। संभव है कि आज इस बारे में कुछ चौंकाने वाला खुलासा हो।
कार्डियक अरेस्ट के चलते हुआ निधन
गंगा की अविरलता और निर्मलता को बनाए रखने के लिए विशेष एक्ट पास कराने की मांग को लेकर आमरण अनशन कर रहे स्वामी ज्ञान स्वरूप सानंद का आज दोपहर बाद एम्स ऋषिकेश में निधन हो गया।
एम्स प्रशासन के मुताबिक उनकी मौत कार्डियक अरेस्ट के चलते दोपहर करीब दो बजे के आस-पास हुई। उनकी निधन की खबर आम होते ही उनके अनुयायियों के बीच शोक की लहर दौड़ गई।
सानंद के निधन से उपजे आक्रोश से उपजी किसी अप्रिय स्थिति से निपटने के लिए एहतियातन हरिद्वार और देहरादून की पुलिस एम्स में तैनात कर दी गई है। सरकार और कई आला अधिकारी हर घटनाक्रम पर नजर गड़ाए हुए हैं।
एम्स प्रशासन के मुताबिक स्वामी सानंद पहले ही अपना शरीर एम्स, ऋषिकेश को दान किए जाने का संकल्प पत्र भर चुके थे, लिहाजा उनका शव एम्स में ही रखा गया है।
गंगा के तट पर बने सानंद, गंगा तट पर ही हुआ महाप्रयाण
प्रोफेसर जीडी अग्रवाल ने वर्ष 2011 में बनारस में गंगा के तट पर स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद से दीक्षा ली थी और प्रोफेसर जीडी अग्रवाल से स्वामी ज्ञान स्वरूप सानंद बन गए।
इसके बाद हरिद्वार के जगजीतपुर में गंगा के तट पर स्थित मातृसदन में ही उन्होंने गंगा की अविरलता और निर्मलता के लिए विशेष एक्ट पास कराने की मांग को लेकर विगत 22 जून को आमरण अनशन शुरू किया था।
लेकिन गंगा के लिए जीवन भर संघर्षरत रहे स्वामी ज्ञान स्वरूप सानंद का महाप्रयाण भी गंगा किनारे स्थित एम्स ऋषिकेश में ही हुआ। और इस तरह ज्ञान स्वरूप सानंद का गंगा तट से शुरू हुआ सफर गंगा के तट पर ही समाप्त हो गया।
बहराल सवाल ये उठता है कि आखिर वो लोग कोन थे या है जो स्वामी सानंद को अनशन ख़त्म ना करने के लिए दबाव बना रहे थे क्या सच में सानंद अनशन खत्म करना चाहते थे या फिर बात कुछ और ही है ये जल्द साफ हो जाएगा।
साभार: ईटीवी भारत