पीएम सर आप फिर देवभूमि मे आगमी 7 तरीख को होंगे
पहाड़ का पानी और पहाड़ की जवानी पहाड़ के काम आएगी आपने ये वादा जनता से किया था ओर मुझको ख़ुशी है कि मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र रावत लगातार पसीना बहा रहे है इस जुमले को साकार करने के लिए क्योकि ये राज्य वासियो के लिये पिछले 16 सालों से जुमला ही था पर अब नही है!
मुजफ्फरनगर कांड की बरसी मनाने के लिए रिस्पना पुल पर जमा आंदोलनकारियों में देहरादून के अमित ओबराय भी शामिल थे। पुलिस ने जमकर लाठी चार्ज किया तो उस दौरान भगदड़ का शिकार होकर अमित भाई भी रिस्पना पुल से नीचे गिर गए। ओर उनकी रीढ़ की हड्डी टूट गई।
पीएम सर आज घटना को 23 साल हो बीत चुके हैं। तब से अमित बिस्तर पर ही जिंदगी से जंग लड़ रहे हैं। उनके कंधे से नीचे का पूरा शरीर निष्क्रिय है। शरीर से एक मक्खी उड़ाने के लिए भी उन्हें एक सहायक चाहिए। ये तो जुल्म है उनके लिए ।
मगर इन सबके बावजूद अमित में जीने की जबर्दस्त ललक है। बस मलाल है तो सिर्फ इस बात को लेकर कि बढ़ती महंगाई में उनका इलाज आखिर कितने दिनों तक चल पाएगा ? इलाज और तीमारदारी पर बड़ी रकम हर महीने खर्च हो रही है। पीएम सर अमित को सरकार से आंदोलनकारी कोटे की 10 हजार रुपये पेंशन मिलती है, लेकिन ये नाकाफी है। वह यही चाहते हैं कि उनके इलाज का सारा खर्च सरकार उठाए ताकि उनकी बूढ़ी मां को कुछ राहत मिल सके। पीएम सर लगभग 41 साल के अमित प्रगति विहार में रहते हैं। उन्हें दो अक्तूबर 1995 की घटना का एक-एक क्षण याद है। कहते हैं कि मैं तब 11वीं का छात्र था। आंदोलन अपने चरम पर था।
ओर आंदोलनकारी बड़ी संख्या में मुजफ्फरनगर कांड की बरसी मनाने इकट्ठा हुए थे। सब जगह बंद था। बड़ी संख्या में पुलिस बल भी वहां तैनात था। खूब नारेबाजी हो रही थी। तभी पुलिस के जवान पुल के दोनों ओर से से लाठियां भांजते हुए आंदोलनकारियों पर टूट पड़े। पुल पर भगदड़ मच गई। पुल के पास खड़ा मैं अचानक नीचे गिर गया।
उसके बाद मुझे इलाज के लिए कोरोनेशन अस्पताल ले जाया गया। वहां पीजीआई चंडीगढ़ रेफर किया गया। वहां एक महीने इलाज के बाद मैं घर लौट गया। तब से न जाने कितने उतार-चढ़ाव देखे हैं अमित ने
पीएम सर
पहले मुख्यमंत्री स्वर्गीय नित्यानंद स्वामी से लेकर खंडूड़ी, निशंक, विधायक हरबंस कपूर और न जाने कितने नेता उनके यहां आए। जब त्रिवेंद्र सिंह रावत मुख्यमंत्री नहीं थे, कई बार उनके घर आए। लेकिन आज उन्हें कोई पूछता नही ओर ना उनके घर आता।
पीएम सर अमित के शरीर का निचला हिस्सा बेजान-सा है। आंदोलन के दौरान दो लोग पूर्ण विकलांग हुए, उनमें से एक वह भी हैं। जब सबकी पेंशन बढ़ी तो उन दो लोगों को छोड़ दिया गया। पेंशन बढ़ाने के लिए काफी संघर्ष करना पड़ा।
पीएम सर
अमित फेसबुक के जरिए दुनिया से जुड़े हैं। उन्होंने दुनियाभर के उनकी हालत वाले 150 लोग ढूंढ निकाले हैं। ये सभी सोशल मीडिया पर बातें करके एक-दूसरे का हौंसला बढ़ाते हैं। उनकी बीमारी सी जुड़ी चिकित्सा क्षेत्र की नई अनुसंधानों के बारे में अनुभव साझा करते हैं। फेसबुक चलाने के लिए वे ध्वनि पहचानने वाले साफ्टवेयर का इस्तेमाल करते हैं।
पीएम सर आपका देवभूमि से लगाव है इसलिए बोलता उतराखंड आप से अपील करता है कि आप एक बार अमित से जरूर मिले और अपनी सरकार से कहे कि अमित के इलाज का सारा खर्च सरकार उठाये।
अटल जी ने राज्य दिया है उतराखंड राज्य बनाया है आप के त्रिवेन्द्र राज्य को गड्ढे से बाहर निकाल रहे है
बोलता उत्तराखंड़ कहता है कि सर आप एक बार अमित से जरूर मिलना अगर आप अमित से मिलगे तो अमित का हौसला बढ़ जायेगा और आपकी त्रिवेन्द्र सरकार अमित के इलाज़ के लिए वो पूरा सहयोग करेगी । जो अमित चाहते है।