नमस्कार सुप्रभात !
आप सभी के सुखमय एवं मंगलकारी दिन की कामना करता हूँ।
मेरी कविता संग्रह “सृजन के बीज” से एक कविता, शीर्षक है “हौसला” आज के लिए आप सभी के सम्मुख –
काम करनेवालों को हार का
कभी कोई गम नहीं होता,
वो जुट जाते हैं अगले ही पल
उनका कभी हौसला नहीं खोता ।
रोता तो वह है जिंदगी में
जिसने कभी संघर्ष न किया हो,
मेहनत करनेवाला तो
एक दिन मंजिल पा ही जाता है
विपरीत परिस्तिथियों में भी वह
मुस्कराकर बढ़ता जाता है ।
– रमेश पोखरियाल ‘निशंक’
आज रविवार को फेसबुक पर पोस्ट की गई मानव संसाधन मंत्री जी की इस कविता के भाव को समझिए , ओर मतलब जो आपको समझ आये आप खुद निकाल सकते है।
ओर ये 15 फरवरी को पोस्ट हुई।
नमस्कार सुप्रभात !
आप सभी के सुखयमय और मंगलकारी दिन की कामना करता हूँ ।
मेरी कविता संग्रह “कोई मुश्किल नहीं” से एक कविता, शीर्षक है “प्रगति गीत बन” आज के लिए आप सभी के सम्मुख –
कामना है
आज इतनी
निराशा मिटाकर सफलता पाओ
समय की चुनौती
स्वीकार कर
संकल्प ले दिशा-दिशाओं में छाओ ।
निश्चित ही समझो
प्रभा देहरी पर
आकर तुम्हारा स्वागत करेगी,
अभिनंदन तुम्हारा
कदम हर कदम पर
खुशियों से झोली तुम्हारी भरेगी ।
काटों में चलते हुए मुस्कराओं
संकल्प लें दिशा-दिशाओं में छाओ ।
निराशा का सारा
अंधेरा मिटाकर
सुहाना सबेरा बनकर दिखाओ
भटकते हुए जन को मुस्कान देकर
प्रगति गीत बन तुम्हीं गुनगुनाओ
पुरुषार्थ से तुम धरा को सजाओ
संकल्प ले दिशा दिशाओं में छाओ ।
– रमेश पोखरियाल ‘निशंक’।