तेंदुए ने किया हमला तो आठ साल की पोती को बचाने के लिए तेंदुए से भिड़ गए दादा
पिथौरागढ़ से दुःखद ख़बर।
बता दे कि उत्तराखंड के पिथौरागढ़ में मूनाकोट विकास खंड के ग्राम सभा गंगासेरी के तोक चौक्याल में कल तेंदुए के हमले में 8 साल की मासूम बालिका गंभीर रूप से घायल हो गई।
अभी अस्पताल मैं इलाज जारी है तो इस दुःखद घटना से ग्रामीणों में काफी रोष है से वे तेंदुए को पकड़ने या उसे मारने की मांग कर रहे है
आपको बता दे कि चौक्याल निवासी राजेश पांडेय की बेटी रिया महज 8 साल कल यानी सोमवार की शाम लगभग चार बजे अपने साथियों के साथ घर के पास स्थित सड़क पर खेल रही थी। इसी बीच झाड़ियों में घात लगाए तेंदुए ने रिया पर हमला कर दिया।
ओर फिर तेंदुआ रिया को घसीटते हुए लगभग सौ मीटर तक ले गया। उसी समय अन्य बच्चों के शोर मचाने पर वहां कार्य कर रहे मजदूर और रिया के दादा रमेश पांडेय तेंदुए के पीछे दौड़े।
ओर फिर उसी समय रिया के दादा ने तेंदुए के ऊपर छलांग लगा दी। जिसके बाद
तेंदुआ रिया को छोड़ भाग गया। फिर घायल रिया को उसके दादा रमेश पांडेय, मां किरन, पूर्व प्रधान जीवन कापड़ी कुछ दूर तक जीप में लेकर आए और वहां से उसे 108 एंबुलेंस से जिला अस्पताल ले गए
वही अस्पताल में मुख्य सर्जन डॉ. एलएस बोरा बताया कि तेंदुए के हमले से बालिका की सांस नली कट गई है। बालिका को बचाने के हर संभव प्रयास किए जा रहे हैं।
जानकरीं अनुसार तेंदुए के हमले में घायल रिया के पिता राजेश पांडेय पिथौरागढ़ में सेना में तैनात हैं। उनका परिवार हल्द्वानी में रहता है। सर्दी की छुट्टियों के चलते वह 23 दिसंबर को रिया के जन्मदिन पर वह परिवार को लेकर गांव पहुंचे थे। अस्पताल में इलाज के दौरान रिया की मां किरन, पिता और दादा का रो-रोकर बुरा हाल है दुःखद है
है भगवान मासूम रिया को बचा लो ।आप सब भी उसकी जिंदगी के लिए प्राथना करे।
सुनो सरकार रोज कहते हो टीवी मैं ,अखबारो में, भाषण मैं ,बयानों में,की आओ रिवर्स पलायन करो
नही तो साल भर मैं एक बार आओ अपने गाँव घर बार,
अपने गांव मैं सेल्फी भी लो,
अपने खेत खलिहान मैं घूमो।ओर भी बहुत कुछ
सरकार में ख़बर लिखते लिखते रो रहा हूँ तो सोचो उन माता पिता पर क्या बीत रही होगी
जो अपनी मासूम बीटिया को अपने गाँव लाये उसका धूम धाम से जन्म दिन मनाया ओर आज वो जिन्दगी से जंग लड़ रही मेरी सरकार। ये कोई पहला वाक्य नही है इससे पहले भी कही मासूम बच्चों को बाघ या तेंदुआ अपना निवाला बना चुका है।
तो कही आज तक भी घायल है।
सरकार आपको इसका हल निकालना होगा इन बाघों को मारकर ही रास्ता नही सुलझने वाला।
जंगलो के अंदर ही उनके भोजन की व्यवस्था करनी होगी।
आज जंगलो से छोटे जानवर मतलब इनके भोजन की सख्या कम होती जा रही है उस पैदावार को बढ़ाना होगा अब ये सब कैसे होगा ये आप तय करे सरकार तो दूसरी तरफ गाँव के आसपास फैली झाड़ियों को गांव वालों को ही साफ करना होगा, ये सब करने कोई बाहर से नही आने वाला है ये आपकों समझना होगा
पलायान की वजह से भले ही आप लोगों की सख्या कम हो पर आप सबको मिलकर ये करना होगा।
इस तरह से उन वस्त्र का निर्माण करना होगा जिसे गर्दन पर , पैर पर पहना जा सके जो उतना मोटा हो जिसे पहन कर जानवर के दांत या नाखून जल्दी से ना चुभे।
वरना वो दिन दूर नही जब कोई दादा , दादी कहेगे कि बेटा मेरे पोता पोती को मत लाना पहाड़ अपने घर बार, अब डर लगता है किसी अनहोनी होने का।
तुम वही खुश रहो अपने परिवार के साथ ओर फिर ये बोलते हुए भी उनकी आंखों मैं आँसू होंगे।